मंडी-हिमाचल किसान सभा के उपाध्यक्ष जोगिन्दर वालिया ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखु द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी को बल्ह (नेरचौक) से सरकाघाट स्थानांतरित करने की घोषणा का कड़े शब्दों में विरोध किया है। किसान सभा ने मांग की है कि इस घोषणा को तुरंत वापस लिया जाए। वालिया ने कहा कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज मंडी वासियों को लंबे संघर्ष के बाद मिला था। धूमल सरकार मंडी में निजी मेडिकल कॉलेज खोलना चाहती थी और मंडी अस्पताल को भी निजी हाथों में सौंपने जा रही थी, जिसका जन-आंदोलन के माध्यम से कड़ा विरोध हुआ। इसके बाद मजबूरी में धूमल सरकार को ईएसआईसी की मदद से नेरचौक में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा करनी पड़ी। हालांकि भवन बनने के बाद 2016 में ईएसआईसी ने हाथ खड़े कर दिए और प्रदेश सरकार को इसे अपने खर्चे पर चलाना पड़ा। इसके उपरांत 2019 में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई, ताकि हिमाचल के सभी मेडिकल संस्थानों को एक ही केंद्र से बेहतर सुविधा मिल सके।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुखु ने मंडी जिला की जनता को आपस में लड़ाने का प्रयास किया है। कभी बल्ह (ढांगु-लुनापनी), कभी सुंदरनगर (बलग) और अब सरकाघाट में यूनिवर्सिटी स्थानांतरित करने की घोषणाएं केवल राजनीतिक स्वार्थों को साधने के लिए की गई हैं। किसान सभा का मानना है कि जब पिछले 7 वर्षों में न जयराम सरकार और न ही सुखु सरकार इस यूनिवर्सिटी को अस्तित्व में ला सकी तो अब दो-ढाई साल में यह संभव नहीं है।किसान सभा की स्पष्ट मांग है कि सरकाघाट में भी कोई बड़ा संस्थान—जैसे एयरपोर्ट, स्पोर्ट्स कॉलेज, नर्सिंग संस्थान आदि—स्थापित किया जाए, जबकि मेडिकल यूनिवर्सिटी नेरचौक में ही रहे। यदि सरकार ने इस घोषणा को वापस नहीं लिया तो किसान सभा अन्य जनसंगठनों के साथ मिलकर व्यापक संघर्ष छेड़ने के लिए बाध्य होगी।