
मंडी-सर्व देवता सेवा समिति की कार्यकारिणी की बैठक शिव पाल शर्मा अध्यक्ष सर्व देवता सेवा समिति की अध्यक्षता में देव सदन मंडी में आयोजित।इस बैठक में कुछ एक प्रमुख देवी-देवताओं के गुर , पुजारीयों ने भी भाग लिया। बैठक में हाल ही मैं आई त्रासदी, जिसमें जान मॉल का भारी मात्रा में नुकसान हुआ है के बारे मैं कुछ दिन पहले कारदारों से अनुरोध किया गया था कि गुरु के माध्यम से अपने-अपने देवताओं से प्रार्थना करके इस त्रासदी के बारे में पता करें ।बैठक में आए हुए गुर, पुजारी और कारदारों ने बैठक में बताया कि जितने भी देवी-देवता है उन्होंने अपने-अपने स्थान एकांत जगह चुने हुए थे। जहां पर पहले देवता की मर्यादा को देखते हुए ही अपनी मान्यता को पूरा करने के लिए श्रद्धालु जाते थे I वहां अब इन देव स्थलों में जो भी व्यक्ति वहां जा रहा है वह पिकनिक मनाने वहां पहुंच रहे है। जिसका प्रमाण हाल ही में मीडिया द्वारा भी उजागर किया गया था। जिसमें बहुत ज्यादा बोतले शराब की ओर अन्य वस्तुएं जो तीर्थ स्थलों में बड़े-बड़े पानी के कुंड के नजदीक कुछ एक व्यक्तियों के वस्त्र पाए गए।कुंड एक पवित्र स्थान है और देवता कुंड का पानी लेकर शक्तियां प्राप्त करते है। जैसे कमरुनाग , पराशर , रिवालशर आदि आदि देवता है।इस पर गुर के माध्यमों द्वारा देवताओं ने अपनी वाणी बोलकर समितियों को बताया कि हर व्यक्ति अपनी मर्यादा भूल गए है और अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे है l जिसको समय रहते रोकना जरूरी है। इस पर कारदारों ने प्रस्ताव रखा कि जहां-जहां पर देवी-देवताओं के स्थान है वहां से सड़क का निर्माण लगभग तीन किलोमीटर दूर रखे और ना ही देवताओं के मंदिरों के इर्द गिर्द कोई भी पर्यटक स्थान/ विश्राम गृह ना बनाए। इन स्थानों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाया जाए ताकि देवताओं की सुरक्षा और मर्यादा बनी रही ।जहां तक त्रासदी का सवाल है यह पूरेहिमाचल ,उत्तराखंड ओर अन्य देश विदेशों में भी हो रही है। यह प्राकृतिक प्रकोप है l इस प्रकोप से मनुष्यों को खुद मर्यादा को देखते हुए अपना-अपना कार्य करें lजिला कुल्लू में जब कोई देवताओं का सामूहिक निर्णय लेना हो तो देवताओं के अपने जगती स्थान बने हुए है। जबकि मंडी में ऐसा प्रावधान नहीं है।इस सम्बन्ध पर भी चर्चा की गई। जिसमें गुरु और कारदारों ने कहा कि ऐसा स्थान भूतनाथ मंदिर जहां से हमारी शिवरात्रि का महत्व है के गर्व गृह के बाहर ही बनाया जा सकता है। वहां समस्त देवी -देवताओं के गुर बैठ कर निर्णय ले सकते है l इस पर अध्यक्ष ने कहा कि इस विषय पर सभी समितियां अपने-अपने देवी-देवताओं को गुर के माध्यम से पूछे अगर देवता इजाजत देते है तो आगामी प्रक्रिया जारी की जाएगी l अंत मैं अध्यक्ष ने कारदार/समितियों को आदेश दिए कि अपने-अपने देवताओं की परम्परा को देखते हुए अपनी कार्यशैली में ध्यान दे और कोई समिति में देवता की परम्परा को भंग करने की कोशिश करता है चाहे वह समिति के किसी भी पद पर हो, उसको उसी समय देवताओं के नियमानुसार बर्खास्त किया जाए और उसकी जगह पर चरित्र वान व्यक्ति को चुने जो देवताओं का कार्य देवनीति से चलाए lइसी तरह हमारे जो शिकारी जोगनी, स्नोर में तुंगेश्वरी, चौहार में श्री देवी फूंगनि ,फूटा खल की नौनी जोगनी का स्थान है, इन स्थानों पर आम जन मानस का जाना वर्जित है इन स्थानों पर सिर्फ देव कार्य हेतु जाया जाता था। क्योंकि इनको निरोल की भगवतियां माना जाता है परन्तु कारदारों का कहना है कि इन स्थानों पर सड़क की सुवधा होने पर लोग पिकनिक मनाने जा रहे है जो कि गलत है। इन देवियों का देव परंपरा के अनुसार उसका महत्व है कि उसका कार्य बड़े शांति स्वरूप से होता है क्योंकि जोगनिया ज्यादा शोर गुल पसन्द नहीं करती है। इन देवियों का स्वरूप निरोल है।
सरकार से अनुरोध है कि देवी-देवताओं के स्थान जहां जहां भी है वहां विकाश हेतु जो कार्य किए जा रहे है, जैसे सड़के इत्यादि इनकी दूरी मंदिरों से तीन किलोमीटर दूर रखी जाए ताकि देवताओं की परंपरा को देखते हुए स्वच्छता बनी रहे l बैठक में सर्व देवता सेवा समिति की समस्त कार्यकारिणी व देवताओ का कारदारों ने भाग लिया।