
मंडी-धर्मपुर के विधायक द्धारा अवाहदेवी चौक पर एनएच निर्माण कार्य बारे किये जा रहे कथित सत्याग्रह को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता व पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने उनके अढ़ाई साल के कार्यकाल की नाकामियों को छुपाने मात्र और जनता का ध्यान भटकाने का क़दम बताया है।उन्होंने कहा कि विधायक को दो घंटे में कंपनी का कौन सा काम अच्छा नहीं लगा कि उन्होंने आनन- फानन में रात को दस बजे सोशल मीडिया पर ऑनलाईन होकर कंपनी के अधिकारियों के बारे में कुछ बोला औऱ फ़िर वहीं पर पहले धरना फ़िर सत्याग्रह और अब आमरण अनशन की बात कर रहे हैं।जबकि कम्पनी पिछले चार साल से इस सड़क मार्ग का निर्माण कर रही है और जो तबाही होनी थी वो हो चुकी है।लेकिन तब तो विधायक मौन धारण किये हुए थे। जबकि लोगों ने दर्ज़नो जगह कंपनी के खिलाफ़ इस दौरान धरने प्रदर्शन किए। वे अब जनता को भर्मित व ध्यान भटकाने के लिए ये सब नॉटंकी कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि एनएच प्रथम फेज हमीरपुर से पाड़छु तक का निर्माण कार्य पिछले चार साल से हो रहा है और दूसरे फेज का काम अढ़ाई साल से हो रहा है।कंपनी ने पाड़छु से लेकर कुम्हरड़ा- सिन्ह तक दर्ज़नो स्थानों पर अवैध डंपिग की है जो इस बरसात में तबाही का मुख्य कारण बनी।बीआरएन कंपनी के लौंगनी में लगे क्रशर के लिए जो बोल्डर नाल्ड, बहरी और तनेहड़ कि खड्डों से बिना अनुमति के अवैध खनन माफियाओं ने सप्लाई किये, जो सब विधायक के ही चेले चपाटे ही हैं।लेकिन तब ये ही विधायक आंखे बंद करके अवैध खनन माफिया से धन संग्रहन में व्यस्त रहा।यही नहीं हुक़्क़ल स्कूल और अन्य कई जगहों पर जो डंगे लगाने का काम कंपनी ने सबलेट किया है वे भी उसी के आदमी हैं।बहुत से चमचों की गाड़ियां व टिप्पर भी कंपनी ने हायर किये हैं।यही नहीं धर्मपुर में नलवाड़ मेले के नाम पर कंपनी से पैसा लिया गया है।जिसके चलते कंपनी ने जो भी ग़लत काम इन तीन सालों में किये उनके बारे में एक शब्द नहीं कहा।अब कंपनी इन ठेकेदारों की पेमेंट भी नहीं कर रही है जिसे जारी करने के लिए वे दबाब डाल रहे थे।भूपेंद्र सिंह ने विधायक से सवाल खड़े किए हैं कि उन्होंने गासियां खःड्ड में छह महीने तक गैरकानूनी तरीके से डाले मलबे के विरुद्ध जनवरी से जून तक कोई कार्यवाई कियूँ नहीं कि जिसे वे बतौर विधायक स्थानीय पुलिस और प्रशासन से करवा सकते थे।यही नहीं उन्होंने सरकाघाट और धर्मपुर थाने में 4 और 23 जून को एफआईआर दर्ज न करने के लिए भी पुलिस पर दबाब डाला और अब जब ख़ुद धरने पर बैठे तो रातों रात सरकाघाट थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज कर दी। जिससे साफ़ है कि ये सब उनके इशारे पर ही हो रहा था।अब जब बरसात में सब कुछ तबाह हो गया है और उनकी अध्यक्षता में मंडी में आयोजित आपदा प्रबंधन कमेटी की बैठक में ये निर्णय लिया गया है कि बरसात में कोई निर्माण कार्य नहीं होगा तो अब धरना देने का क्या औचित्य है। उन्होंने विधायक पर ये भी आरोप लगाया कि वे विधायक बनते ही सबसे पहले अपने लिए नया महल बनाने में व्यस्त रहे और दूसरे साल में अवैध रूप में अपनी और पत्नी की कंपनी के लिए लकड़ियां काटने में व्यस्त रहे और अब वो मामला हाई कोर्ट में है।तीसरे साल में जनाब एनएच कंपनी से सांठगांठ करके अपने व अपने चमचों के लिए ठेके लेने में व्यस्त हो गए और अब सब कुछ उजड़ जाने के बाद सत्याग्रह की नॉटंकी कर रहे हैं।ऐसा ही उन्होंने चुनावों में भी किया जब ये कहा था कि अगर इस बार भी मैं नहीं जीता तो अपने लिए लकड़ियां डालने की अपील करता फ़िर रहा था।लोगों की धार्मिक भावनाओं का फ़ायदा लेने के लिए ज्वालामुखी से लाई ज्योति को सभी मंदिरों में घुमाया और अब अवाहदेवी माता का नाम लेकर वहां पर बैठ गया है।ये सब विधायक अपनी नाकामियों और कम्पनियों से की गई सांठगांठ और लेनदेन अवैध लकड़ी कटान से जनता का ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है।जबकि एनएच निर्माण कार्य फ़िलहाल हिमाचल सरकार ने ही जुलाई से सितंबर तक रोकने का निर्णय किया है तो फ़िर ये धरना देने का क्या ओचित्य बनता है।उन्होंने मुख्यमंत्री से बीआरएन कन्स्ट्रक्शन कंपनी और धर्मपुर के विधायक व उसके चमचों को पिछले दो साल में बांटे ठेकों की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है ताकि इनका असली चेहरा जनता के सामने आ सके और इस ड्रामे का भी पर्दाफ़ाश हो सके।